MSP 2024-25 Rabi गेहूं का समर्थन मूल्य होगा 2700, किसानों की हो गई बल्ले बल्ले, गेहूं का समर्थन मूल्य 2024-25

MSP 2024-25

MSP 2024-25 Rabi – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश के अन्नदाताओं की खुशहाली और बेहतरी के लिये नित नये आयाम स्थापित किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अन्नदाताओं के प्रति असीम स्नेह सरकार की योजनाओं में भी निरंतर दिखाई दे रहा है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के लिये गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2425 रूपये घोषित किया गया है। यह गत वर्ष से 150 रूपये अधिक है। हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गेहूं पर 175 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की है जिससे किसानों का गेहूं समर्थन मूल्य पर ₹2600 प्रति क्विंटल से खरीदा जाएगा। एवं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह भी कहा कि जल्द ही गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया जाएगा।

MSP 2024-25 rabi

केंद्र सरकार ने 16 अक्टूबर को रबी की 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया। सबसे ज्यादा इजाफा सरसों-तिलहन में 300 रुपए किया गया। गेहूं में 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया। इस तरह गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,425 रुपए क्विंटल हो गया है। जौ, चना, मसूर, कुसुम की MSP में भी बढ़ोतरी की गई है। ये फैसला कैबिनेट मीटिंग में लिया गया।

विपणन सीजन 2024-25 के लिए सभी रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 2024-25 Rabi

(रुपये प्रति क्विंटल)
गेहूं की एमएसपी – 2275 रुपये से बढ़ाकर 2425 रुपये
जौ की एमएसपी – 1850 रुपये से बढ़ाकर 1980 रुपये
चना की एमएसपी – 5440 रुपये से बढ़ाकर 5650 रुपये
मसूर की एमएसपी – 6425 रुपये से बढ़ाकर 6700 रुपये
रैपीसीड/सरसों की एमएसपी – 5650 रुपये से बढ़ाकर 5950 रुपये
कुसुम की एमएसपी – 5800 रुपये से बढ़ाकर 5940 रुपये

समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिये विभाग द्वारा तैयारी

रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिये अब किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिये विभाग द्वारा तैयारी प्रारम्भ कर दी गई है। इसके अंतर्गत गेहूं उपार्जन के लिए बारदाना, भंडारण, परिवहन की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही भारत सरकार द्वारा निर्धारित एफएक्यू् मापदण्ड के गेहूं उपार्जन के लिए केन्द्रों पर मैकेनाइज्ड क्लीनिंग व्यवस्था की जाएगी। गेहूं की गुणवत्ता के परीक्षण के लिये सर्वेयर को सघन प्रशिक्षण दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में विगत वर्ष 6 लाख 16 हजार किसानों द्वारा 48 लाख 38 हजार मीट्रिक टन गेहूं का विक्रय समर्थन मूल्य पर किया गया। गेहूं उपार्जन के लिये किसानों की सुविधानुसार कुल 3694 उपार्जन केन्द्र स्थापित किए गए। उपार्जित गेहूं के परिवहन, हैण्डलिंग एवं किसानों के शीघ्र भुगतान के लिये 2199 उपार्जन केन्द्र गोदाम स्तर पर स्थापित किए गए। शेष 1495 उपार्जन केन्द्र समिति स्तर पर स्थापित किए गए। किसानों के आधार लिंक बैंक खाते में समर्थन मूल्य राशि के सीधे भुगतान की व्यवस्था की गई थी।

MSP क्या है या मिनिमम सपोर्ट प्राइस?

न्यूनतम समर्थन मूल्य वो गारंटीड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हों। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे, सरकार हर फसल सीजन से पहले कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (CACP) की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतें गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।


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Lahsun Me Kharpatwar Nashak: लहसुन में समय पर करें खरपतवार नियंत्रण अन्यथा हो सकता है बड़ा नुकसान।

लहसुन में खरपतवार नियंत्रण (Lahsun Me Kharpatwar Nashak)

Lahsun Me Kharpatwar Nashak:किसान भाइयों लहसुन की लगभग 80 से 90% तक हर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है अब बात आती है लहसुन में खरपतवार नियंत्रण की लहसुन में खरपतवार नियंत्रण बहुत आवश्यक है यदि आप लहसुन में खरपतवार नियंत्रण नहीं करते हैं तो लहसुन में काफी रोग व बीमारियां आ जाती है जिससे आपको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए किसान भाइयों समय रहते लहसुन में खरपतवार नियंत्रण अवश्य करें, आज हम आपको कुछ ऐसी तकनीक के बारे में बताएंगे जिसका उपयोग करके आप आसानी से लहसुन में खरपतवार नियंत्रण कर सकते हैं ।
लहसुन में पाए जाने वाले कुछ खरपतवार(lahsun me Kharpatwar)- मोथा, कांग्रेस घास, कंटाचैलाई, जंगली चैलाई, बथुआ, पर्सलेन, सबुनी, वन्य पॉएनसेटिया।

Lahsun Me Kharpatwar Nashak

लहसुन में खरपतवार नियंत्रण के उपाय (Lahsun Me Kharpatwar Nashak)

  • निदाई-गुडाई

  • पेड़ामेंथिलीन 30 ई. सी.(Pendimethalin 30 % EC)

  • अदामा डेकेल प्रोपाक्विज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ्लोरोफेन 12% ईसी (ADAMA Dekel Propaquizafop 5% + Oxyflurofen 12% EC)

निदाई-गुडाई

जड़ों में उचित वायु संचार हेतु खुरपी या कुदाली द्वारा बोने के 25-30 दिन बाद प्रथम निदाई-गुडाई करें एवं दूसरी निदाई-गुडाई 45-50 दिन बाद करनी चाहिए।

पेड़ामेंथिलीन 30 ई. सी.(Pendimethalin 30 % EC)

यह एक क्रांतिकारी खरपतवार नाशक है | इसके उपयोग से आपकी फसल को मिले खरपतवारो से लंबी सुरक्षा मीलती है
लहसुन में खरपतवार नियंत्रण हेतु पेड़ामेंथिलीन 30 ई. सी. 1.3 लीटर बुआई के बाद 0 -3 के अंदर अंकुरण पूर्व 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करना चाहिए। या ऑक्सिफलौरफेन 23.5% ई. सी. 300 मिली प्रति एकड़ बुआई के पूर्व या बुआई के शीघ्र बाद 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। यह आपको मार्केट में टाटा पनीडा एवं दोस्त सुपर के नाम से उपलब्ध हो जाएगा। टाटा पनीडा का इस्तेमाल नमी वाली मिट्टी पर ही करना चाहिए, एक एकड़ ज़मीन पर डेढ़ लीटर टाटा पनीडा का छिड़काव करना चाहिए।

अदामा डेकेल प्रोपाक्विज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ्लोरोफेन 12% ईसी (ADAMA Dekel Propaquizafop 5% + Oxyflurofen 12% EC)

Lahsun dekel

डेकेल(Dekel) को खरपतवारों पर उगने के बाद तब प्रयोग किया जाना चाहिए जब वे 2-4 पत्तियों की अवस्था में हों और मिट्टी में पर्याप्त नमी होना चाहिए। डेकेल लहसुन की फसल में घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों दोनों के लिए एक अद्वितीय, मजबूत संपर्क और व्यापक स्पेक्ट्रम वाला शाकनाशी है। यह दो अलग-अलग क्रियाविधि वाले दो सक्रिय तत्वों को जोड़ता है। इसमें दो सक्रिय घटक हैं (प्रोपाक्विज़ाफॉप 5%+ऑक्सीफ्लूऑरफेन 12% इसी) और दोनों का काम करने का तरीका अलग है। एक अजीब पदार्थ बनने को रोखता है तो दूसरे कप्स की मेम्ब्रेन में छेद करता है। इसका प्रभाव लंबे समय तक रहता है। डोज 350 मिली प्रति एकड़ है।

Note – किसान भाइयों आज इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको बताया कि लहसुन में खरपतवार नियंत्रण कैसे करना चाहिए किसान भाई यदि आप इनमें से किसी भी प्रकार के खरपतवार नाशक का उपयोग अपने खेत में करना चाहते हैं तो कृपया अपने नजदीकी कृषि सेवा केंद्र या कृषक सलाहकार की सलाह अवश्य लें। 

किसान भाइयों हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके अवश्य बताएं एवं इसी प्रकार की जानकारी अपने मोबाइल पर प्राप्त करने के लिए हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को जॉइन अवश्य करें।

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लहसुन में 25 से 45 दिन की अवस्था में डालें यह खाद, होगा बंपर उत्पादन

Lahsun me konsa khad dale

लहसुन में 25 से 45 दिन की अवस्था में डालें यह खाद, होगा बंपर उत्पादन

Lahsun Me Konsa Khad Dale: नमस्कार किसान भाइयों जैसा कि आप सभी को बताएं कि अभी लहसुन की बुवाई का समय चल रहा है एवं कई किसानों ने लहसुन की फसल लगा दी है ऊटी लहसुन भी किसान भाई लगा चुके हैं लहसुन में बेसल डोज में कौन सा खाद डालें यह जानकारी हमारे द्वारा पिछली पोस्ट में दे दी गई थी आज हम आपको बताएंगे कि लहसुन में 25 से 45 दिन की अवस्था में कौन सा खाद डालें जिससे कि लहसुन की फसल हरी भरी रहें एवं पूर्णतया जड़ विकास हो, जानकारी के अभाव के कारण कई किसान भाई खाद को सही समय पर नहीं दे पाते हैं जिससे कि वह खाद सही समय पर नहीं देने से वेस्ट हो जाता है।किसान भाइयों आज इस पोस्ट के माध्यम से हम जिन खाद के बारे में आपको बताएंगे यदि उनका उपयोग आप 25 से 45 दिन के भीतर करते हैं तो लहसुन से आपको अच्छी पैदावार तो मिलेगी ही साथ ही आपकी लहसुन की फसल में जड़ों का विकास अच्छे से होगा एवं फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। यह समय फसल के लिए प्रारंभिक बाधवार का समय होता है इस समय लहसुन की फसल के लिए यह खाद बेहद आवश्यक होता है।

किसान भाइयों अब बात करते हैं कि 25 से 45 के दिन के भीतर लहसुन में कौन सा खाद दें, यह समय लहसुन के प्रारंभिक बाधवार का समय होता है इस समय जड़ों का भी विकास होता है इस समय हमें लहसुन की फसल में ट्राइकोडर्मा, ह्यूमिक एसिड एवं माइकोराइजा देना चाहिए इन तीनों को हम किसी भी प्रकार के खाद के साथ मिलाकर दे सकते हैं इन्हें फसल में देने का बेहतर उपाय केचुआँ की खाद या किसी भी कार्बनिक खाद में मिलाकर देना चाहिए एवं खेत में डालने के बाद तुरंत उसमें पानी छोड़ना चाहिए।

Lahsun Me Konsa Khad Dale

ट्राइकोडर्मा (Trichoderma)

ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल खेत में लहसुन की बुवाई करते समय गोबर में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. ट्राइकोडर्मा से लहसुन की फसल में लगने वाली फंगस व सड़न रोग को रोका जा सकता है. ट्राइकोडर्मा एक जैव-कवकनाशी है और विभिन्न प्रकार की कवक जनित बीमारियों को रोकने में मदद करता है, ट्राइकोडर्मा एवं फँफूद नाशक का प्रयोग एक साथ कभी न करें।

Trichoderma Nisarga trichoderma

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Quinoa Farming: किनोवा की खेती किसानों को करेगी मालामाल

Quinoa farming

किनोवा की खेती (Quinoa Farming) – किसान भाइयों आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको किनोवा की खेती की संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं अगर आप भी किनोवा की खेती करना चाहते हैं तो अक्टूबर का महीना किनोवा की खेती(Quinoa Farming) करने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. इसके लिए आप सही किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. किनोवा की खेती से किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा रहे है जिसके चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. किनोवा को सुपर मगर ग्रेन भी कहा जाता है, किनोवा की किस्म की बुआई के लिए 15 अक्टूबर से 30 नवम्बर तक की जाती है. किनोवा सुपरफूड होने के साथ कम लागत में ज्यादा मुनाफा देनी वाली फसल है. इसकी खेती अपने देश के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। यह फसल मात्र 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है कम समय में पककर तैयार होने की वजह से इसमें पानी की आवश्यकता भी कम होती है।

Quinoa farming

किनोवा क्या भाव बिकता है?

किनोवा का मंडी भाव लगभग 3500/- से 7500- हजार रुपए प्रति क्विंटल रहता है, किसान भाइयों अभी की बात करें तो छोटे दाने वाला किनोवा जिसमें लाल फूल आते हैं जिसे देसी भाषा में लाल मंजर कहते हैं वह मंडी में लगभग 3500 से 4500 रुपए तक बिक रहा है, और बड़े दाने वाला किनोवा जिसमें सफेद अथवा भुरे फूल आते हैं वह मंडी में लगभग 6000 से 7500 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है, किसान भाइयों नीमच मंडी में लाल किनोवा का भाव ₹15000 से लेकर ₹100000 प्रति क्विंटल तक देखने को मिला है लाल किनोवा का भाव इतना नहीं है यह मंडी व्यापारी द्वारा बीज बेचने के लिए उसके भाव को बढ़ाया गया है।

Quinoa farming

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किनोवा की फसल कितने दिन में आती है?

किनोवा बीज रोपाई के लगभग 90-100 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता हैं। किनोवा की कटाई के बाद इसको खेत में ही 2 दिन की धूप लगाकर थ्रेसर मशीन में आसानी से निकाला जा सकता है किनोवा की कटाई भी सरसों की फसल की तरह की जाती हैं।

किनोवा की खेती (Quinoa Farming) के लिए उन्नत किस्में

किनोवा(Quinoa) तीन प्रकार का होता है ।

  1. सफेद किनोवा (White Quinoa)

  2. काला किनोवा (Black Quinoa)

  3. लाल किनोवा (Red Quinoa)

Quinoa farming
Image credit – https://jenniferskitchen.com

 

किनोवा की बुवाई कब व कैसे करें?

किनोवा की बुआई 15 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच करनी चाहिए, किनोवा के बीज बहुत छोटे होते हैं इसलिए इन्हें 2 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए, प्रति एकड़ 1.5 से 2 किलो ग्राम बीज का उपयोग करना चाहिए, किनोवा फसल (Quinoa Farming) पकने तक दो से तीन सिंचाई की जरूरत होती है अंतिम सिंचाई लगभग 60 से 65 दिनों में कर देनी चाहिए उसके बाद इसमें पानी नहीं देना है, किनोवा की खेती के लिए किसानों को 18 से 24 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है किनोवा बीज अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है, खरपतवार नियंत्रण के लिए एक बार निंदाई अवश्य कराएं, अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद खाद का उपयोग करें यदि आप रासायनिक खाद देना चाहते हैं तो 40 से 50 किलो प्रति एकड़ डीएपी का उपयोग कर सकते हैं।

किनोवा की फसल में सिंचाई कब करें?

किनोवा के बीज की खेत में बुवाई कर पहली सिंचाई करें दूसरी सिंचाई लगभग 7 से 8 दिनों के भीतर ही कर दें, लगभग 25 से 30 दिन के भीतर तीसरी सिंचाई करें एवं 55 से 65 दिनों के भीतर अंतिम सिंचाई कर दे।

Disclaimer: किसान भाइयों इस पोस्ट के माध्यम से किनोवा की खेती (Quinoa Farming) की जानकारी दी गई है यह जानकारी विभिन्न स्रोतों से की गई है यदि आप किनोवा की खेती करना चाहते हैं तो एक बार इसकी जानकारी कृषक सलाहकार या कृषि विज्ञान केंद्र अथवा ग्राम सेवक से जानकारी अवश्य प्राप्त करें,
किसान भाइयों हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें अवश्य बताएं, यदि इसी प्रकार से आप खेती-बाड़ी से जुड़ी जानकारी एवं मंडी भाव अपने मोबाइल पर प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को जॉइन अवश्य करें।

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Matar Ki Kheti इस माह में करें मटर की अगेती खेती, मटर की सबसे बेस्ट 5 वेरायटी

Matar ki kheti

Matar Ki Kheti: अगर आप भी मटर की अगेती खेती करना चाहते हैं तो सितंबर का महीना मटर की खेती करने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. इसके लिए आप सही किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. अगेती मटर की खेती से किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा रहे है जिसके चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. अगेती मटर की किस्म की बुआई के लिए सितम्बर माह के अंत से अक्टूबर के प्रथम व द्वितीय सप्ताह तक की जाती है.

Matar ki kheti

मटर की फसल की बुवाई करने के 50 से 60 दिनों बाद इसकी पौधों से फलियों की तुड़ाई की जा सकती है। पैदावार की बात करें तो कच्ची फली की पैदावार प्रति हेक्टेयर 90 से 150 क्विंटल हो जाती है। इस तरह अगर 30 रुपए प्रति किलोग्राम कच्ची फली किसान बेचते हैं तो किसान की 150 क्विंटल फसल की रेट 4 लाख 50 हजार रुपए होगी।

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मटर की सबसे बेस्ट 5 वेरायटी Matar Ki Kheti

Matar ki kheti

अगर आप किसान हैं और इस सितंबर महीने में मटर की खेती करना चाहते हैं, इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, मटर की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान भाईयों को हमेशा मटर की उन्नत किस्मों का ही चयन करना चाहिए।

  1. आर्केल मटर

  2. काशी नंदिनी मटर

  3. पूसा श्री मटर

  4. पंत मटर 155 मटर

  5. अर्ली बैजर मटर

 

आर्केल मटर

आर्केल मटर के लिए ठंडे मौसम की ज़रूरत होती है. आर्केल मटर की किस्म यूरोप से आई है. यह मटर की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है. इसकी फलियां आठ से 10 सेंटीमीटर लंबी होती हैं, एक हेक्टेयर में आर्केल मटर की पैदावार 80-90 क्विंटल तक हो सकती है आर्केल मटर की फलियां बुवाई के करीब 60 से 65 दिनों में तोड़ी जा सकती हैं.

काशी नंदिनी मटर

काशी नंदिनी मटर भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान वाराणसी द्वारा विकसित की गई एक अगेती किस्म है, बुवाई के 32 दिनों बाद इसके पौधों पर पहला फूल आता है, एक पौधे पर 7-8 फलियां लगती हैं. इस किस्म की फ़सल से प्रति हेक्टेयर 110-120 क्विंटल मटर का उत्पादन किया जा सकता है, काशी नंदिनी मटर की बुवाई के बाद 60-65 दिनों में इसकी फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं.

पूसा श्री मटर

Matar ki kheti

यह एक उन्नत किस्म है और इसकी खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है बुआई का सही समय अक्टूबर के आखिरी हफ़्ते से नवंबर के पहले हफ़्ते का होता है, ये किस्म बुवाई के 45 से 50 दिनों बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, इसकी प्रत्येक फली से 6 से 7 दाने निकलते हैं। वहीं इससे प्रति एकड़ 20 से 21 क्विंटल हरी फलियां प्राप्त होती है

पंत मटर 155 मटर

इसकी बुवाई से 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसमें फूल आने लगते हैं, जबकि यह फसल 50 से 55 दिनों में तैयार हो जाती है मटर की यह अगेती किस्म बुवाई के 120 से 130 दिनों में पककर पूर्ण रूप से तैयार हो जाती है। इसकी बुवाई से 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसमें फूल आने लगते हैं, पंत मटर 155 (Pant Matar 155) प्रजाति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है,

अर्ली बैजर मटर

अर्ली बैजर मटर एक विदेशी किस्म की मटर है इसकी फसल लगभग 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है, इससे प्रति हेक्टेयर 10 टन के आस-पास पैदावार मिल सकती है यह मटर की एक अगेती किस्म है, जो बहुत कम दिनों में तैयार हो जाती है, इस किस्म की मटर की फलियों में औसतन 5 से 6 दाने पाए जाते हैं यह मटर की एक लोकप्रिय किस्म है, इसकी फलियों में बनने वाले बीज झुर्रीदार होते हैं.

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Soybean MSP 2024 : सोयाबीन के भाव बढ़ेंगे, सरकार का बड़ा फैसला।

Soybean msp 2024

किसान भाई बहनों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..

Soybean MSP 2024 – प्रदेश में किसानों से समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी का कार्य 25 अक्तूबर से 31 दिसंबर 2024 तक किया जाएगा।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा की अध्यक्षता में खरीदी कार्य के लिए उत्कृष्ट व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए संपन्न हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों के हित में कृत-संकल्पित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने हमेशा किसानों की चिंता की है। इस अनुक्रम में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान करते हुए सोयाबीन का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 4892₹ रुपये निर्धारित किया गया है। प्रदेश के किसान सोयाबीन के मूल्य को लेकर काफी चिंतित थे। राज्य सरकार द्वारा सोयबीन के निर्धारित समर्थन मूल्य में वृद्धि के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृति दी गई है

 

Soybean msp 2024

इंपोर्ट ड्यूटी को 0% से बढ़ाकर के 27.5 % कर दी

हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आज सोया तेल एवं सोया केक पर इंपोर्ट ड्यूटी को 0% से बढ़ाकर के 27.5 % कर दी है। इसका लाभ हमारे देश के सोयाबीन उत्पादक किसानों को मिलेगा, देश की सोया इंडस्ट्री को मिलेगा।

हम तेल एवं केक निर्यात कर पाएंगे, इसके माध्यम से सोयाबीन के दामों में बढ़ोतरी होगी। इस किसान हितैषी निर्णय के लिए हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त करते हैं।

Soybean Procurement on MSP

विडियो देखें –

 

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Soybean msp

किसानों से समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी 25 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक की जाएगी
किसान पोर्टल पर 25 सितंबर से 15 अक्तूबर तक करवा सकेंगे पंजीयन

Soybean MSP – प्रदेश में किसानों से समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी का कार्य 25 अक्तूबर से 31 दिसंबर 2024 तक किया जाएगा।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा की अध्यक्षता में खरीदी कार्य के लिए उत्कृष्ट व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए संपन्न हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

E uparjan soybean msp

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर मुख्य सचिव ने ली बैठक

मुख्य सचिव श्रीमती राणा ने बैठक में खरीफ कृषि उपज की समीक्षा करते हुए सोयाबीन खरीदी की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए राजस्व विभाग को गिरदावरी का कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है। उन्होंने ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर 25 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक किसानों द्वारा रजिस्ट्रेशन के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुविधाजनक रूप से करने के लिए कहा है।

भंडारण की व्यवस्था

बैठक में निर्णय लिया गया है कि समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी की एजेंसी मार्कफेड होगी तथा भंडारण की व्यवस्था स्टेट वेयरहाउसिंग कारपोरेशन और बारदाना की व्यवस्था मार्कफेड द्वारा की जायेगी।

खरीदी केंद्रों पर किसानों को सुविधा

किसानों से फेयर एवरेज क्वालिटी (एफएक्यू) की सोयाबीन खरीदी के लिए सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जायेंगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि खरीदी के दौरान केंद्रों पर किसानों को सुविधाजनक सुविधाएं और वातावरण दिया जाए।

ई उपार्जन पर होगा पंजीयन

E-Uparjan soybean MSP की प्रक्रिया के अंतर्गत 6 चरण आते है जिसके अंतर्गत किसान पंजीयन, किसान द्वारा स्लॉट बुकिंग,अनाज खरीदी,परिवहन,संग्रहण और भुगतान करने जैसी आदि प्रक्रिया शामिल है, जिससे की एक सुनियोजित योजना बनाई जा सके |

  1. e-Uparjan ऑनलाइन पंजीयन

  2. किसान द्वारा स्लॉट बुकिंग

  3. उपार्जन केंद्र से किसान की खरीदी

  4. विक्रय किये गए अनाज का परिवहन

  5. परिवहन किये गए अनाज का गोदाम में संग्रहण

  6. किसान के आधार लिंक्ड बैंक खाते में सीधे भुगतान

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Farming Jugaad: किसान ने बनाया लहसुन काटने का तगड़ा जुगाड़, आईए देखते हैं।

Farming Jugaad ( लहसुन काटने का जुगाड़)

Farming Jugaad – भारत के किसान सदियों से कृषि के क्षेत्र में नई-नई तकनीकों और जुगाड़ों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। इन जुगाड़ों ने न केवल खेती की लागत को कम किया है बल्कि उत्पादन को भी बढ़ाया है। आइए जानते हैं ऐसे ही जुगाड़ों के बारे में जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इन जुगाड़ों से प्रेरणा लेकर हम यह सीख सकते हैं कि थोड़ी सी रचनात्मकता और लगन से हम मुश्किलों का आसानी से समाधान ढूंढ सकते हैं।

Farming Jugaad

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह-तरह के किसान भाई जुगाड़ लगाकर मशहूर हो जाते हैं और लोगों की तारीफ इकट्ठा कर लेते हैं। हाल ही में एक किसान भाई ने बहुत ही तगड़ा जुगाड़ लगाकर लहसुन काटने के टूल्स का आविष्कार किया है जो लहसुन काटने का काम आसानी से कर सकता है। यह टूल बहुत ही ज्यादा कारगर साबित हुआ हैं। साथ ही इसे खेतों के कई काम आसानी से किया जा सकते हैं। किसान भाई के वीडियो में जुगाड़ देखते हैं कि कैसे उन्होंने यह टूल का आविष्कार किया है।

जुगाड़ देख लोगों ने करि वाह-वाह

दोस्तों सोशल मीडिया की कई साइट्स पर इस वीडियो को शेयर किया गया है जिसके बाद लोग इस वीडियो को देख कर काफी ज्यादा हैरान रह गए हैं और किसान भाई की बहुत ही ज्यादा तारीफें भी कर रहे हैं। अन्य किसान भाइयों के भी यह जुगाड़ बहुत ही ज्यादा काम आया है जिससे वहां भी इन टुल का आविष्कार अपने घर पर ही कर रहे हैं और इसे उनके खेतों की कई समस्या दूर कर रहे हैं और वह आसानी से बहुत ही कम समय में काम कर पा रहे हैं। इस टुल से किसान भाइयों को बहुत ही फायदा हुआ है।

देखें वीडियो (Farming Jugaad)

 

Disclaimer:-

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Tata Dhruvi Gold Fertilizer – टाटा ध्रुवी गोल्ड किसानों के लिए वरदान है यह खाद, 11 पोषक तत्वों का मिश्रण

Tata Dhruvi Gold Fertilizer

Tata Dhruvi Gold Fertilizer : किसान भाइयों आज हम आपको ऐसे खाद के बारे में बताने वाले हैं जो किसानों के वरदान साबित हुआ है , जैसा कि हम जानते हैं कि पौधों को ग्रोथ करने के लिए कई प्रकार के न्यूट्रिशन की आवश्यकता होती है न्यूट्रिशन की आपूर्ति के लिए टाटा स्टील के द्वारा टाटा ध्रुवी गोल्ड (Tata Dhruvi Gold Fertilizer) लॉन्च किया गया है इस नए प्रकार के खाद का प्रयोग किसान भाई सभी प्रकार की फसलों में कर सकता है इसके उपयोग से किसान भाई केवल अच्छा उत्पादन ही नहीं बल्कि कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं कदं वर्गीय फसलों में भी किसान इसका उपयोग कर सकते हैं लहसुन बोते समय बेसल डोज में किसान खेत की तैयारी से पहले 50 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से इसका प्रयोग कर सकता है।

Tata Dhruvi Gold Fertilizer

इसके पोषक तत्व अन्य उत्पादों की तुलना में पानी में जल्द घुलनशील नहीं होते हैं। ये धीरे-धीरे गलता है, जिससे पौधों को पर्याप्त मात्रा में माइक्रो न्यूट्रियंस मिल पाते हैं। किसानों का कहना है कि इस खाद से न सिर्फ उनकी फसलों के उत्पादन में 25 से 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, बल्कि खेती की लागत भी कम हुई है। इस उत्पाद को स्लैग से बनाया गया है स्लैग से बनी यह खाद फसलों से पैदावार बढ़ाने में मददगार साबित हुई है।

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उपज और आमदनी में हुई बढ़ोतरी

टाटा ध्रुवी गोल्ड (Tata Dhruvi Gold Fertilizer) कैल्शियम, सल्फर, सिलिका, मैग्नीशियम, लोहा, बोरान, मोलिब्डेनम सहित माध्यमिक माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक समृद्ध मिश्रण प्रदान करता है स्लैग से बनी ये खाद किसानों की पैदावार को बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है। इस नए खाद के इस्तेमाल से लहसुन, टमाटर, प्याज, गन्ना, शाक-सब्जी, सरसों, धान तथा गेहूं की खेती करने वाले किसानों की उपज और आमदनी बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि धुर्वी गोल्ड के इस्तेमाल से डीएपी व यूरिया की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो गई है।

टाटा ध्रुवी गोल्ड सूक्ष्म पोषक तत्व – Tata Dhruvi Gold Fertilizer Micro Nutrient

Tata Dhruvi Gold Fertilizer content

  1. कैल्शियम – 15%

  2. सल्फर – 15%

  3. सिलिकॉन – 3%

  4. आयरन – 2.5%

  5. फॉस्फोरस – 2%

  6. मैग्नीशियम

  7. मोलिब्डेनम

  8. तांबा

  9. जिंक

  10. बोरोन

  11. मैंगनीज

धुर्वी गोल्ड के फायदे (Tata Dhruvi Gold Fertilizer Benifits)

  • फसल की पैदावार में सुधार

  • जड़ वृद्धि को बढ़ाता है

  • पीएच संतुलन में सुधार करता है

  • रोग सुरक्षा में सुधार करता है

  • क्लोरोफिल उत्पादन को बढ़ाता है जिससे पत्तियों का हरापन बढ़ता है

  • पत्तियों की नोकों का पीलापन, रंग का खराब होना आदि रोकता है।

टाटा ध्रुवी गोल्ड डोज – Tata Dhruvi Gold Fertilizer Dose

50kg प्रति एकड़

विभिन्न पोषक तत्वों के कार्य

  • फसल में *आयरन* होगा तो इल्ली नही आएगी

  • फसल में *सल्फर* होगा तो फंगस नही लगेगा

  • फसल में *जिंक* होगा तो कोई भी वायरस का प्रकोप नही होगा

  • फसल में तांम्बा,*मैगनीज* होगा तो बैक्टीरियल ब्लास्ट जैसी बीमारी नही आएगी

  • फसल में *कैल्सियम* होगा तो रसचुसक कीट नही आएंगे

वर्तमान में मिट्टी की ऊपरी सतह में उक्त खनिज तत्व नही है इसीलिए फसलों में बीमारियाँ आ रही है। खनिज तत्वों की कमी से फसल की उपज भी गिरती है,जैसे

  • फसल में *बोरान कैल्सियम* नही होगा तो नई कोपलें नही आती और फूल नही आते है,फल फटते है।

  • फसल में *फॉस्फोरस* नही होगा तो पत्ते टेढ़े-मेढ़े हो जाते है,फसल की ऊँचाई नही आती है।

  • फसल में *पोटास* नही होगा तो फसल में कंसे नही आते,फल कम लगते है,फल छोटे रह जाते है।

  • फसल में *जिंक सल्फर* नही होगा तो फलो में स्वाद नही आता है।

Disclaimer :

किसान भाइयों आज इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको टाटा ध्रुवी गोल्ड के उपयोग एवं उसमें उपलब्ध पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी है, किसी भी प्रकार के खाद का प्रयोग करने से पहले अपने नजदीकी कृषि सलाहकार से सलाह अवश्य लें।

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सरकार का बड़ा फैसला, इन 3 राज्यों में सोयाबीन की MSP पर होगी खरीदी Soybean Procurement on MSP

Soybean procurement on msp

Soybean Procurement on MSP: केंद्र सरकार ने तीन राज्यों महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलांगाना से एमएसपी सोयाबीन की खरीद करने का ऐलान किया है.

Soybean Procurement on MSP : सोयाबीन को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर खरीदेंगी सरकार, सोयाबीन किसानों को सशक्त बनाते हुए MSP में 91% की बढ़ोतरी की गई जो वर्ष 2013-14 में 2560 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर वर्ष 2024 25 के लिए 4892 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है महाराष्ट्र कर्नाटक और तेलंगाना इन तीन राज्यों में सरकार ने MSP पर सोयाबीन खरीदने का ऐलान किया है, सोयाबीन किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

सोयाबीन किसानों को मिलेगी आर्थिक मजबूती

केंद्रीय नोडल एजेंसियों को समर्थन मूल्य योजना (PSS) के तहत किसानों के हितों की रक्षा हेतु केंद्र सरकार ने सोयाबीन की खरीद के लिए दिशा निर्देश दिए हैं ताकि किसानों को वित्तीय सुरक्षा मिल सके एवं सोयाबीन की फसल बेचने में कोई कठिनाई न हो,
MSP पर सोयाबीन की खरीद केंद्रीय नोडल एजेंसियों जैसे नेफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) से होगी. किसानों को फसल बेचने में होने वाली कठिनाइयों से बचाने के लिए जरूरी प्रबंध किए गए हैं. कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में एमएसपी पर खरीद शुरू होगी।

मध्य प्रदेश एक बार फिर से “सोयाप्रदेश”

Soybean Procurement on MSP

पिछले दो सालों में मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में कमी आने से मध्यप्रदेश पिछड़ गया था, वर्ष 2022-23 में मध्य प्रदेश 5.39 मिलियन टन के साथ दूसरे नंबर पर था, महाराष्ट्र 5.47 मिलियन टन उत्पादन के साथ प्रथम स्थान पर था और देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में 42.12% का योगदान था. देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश का योगदान 𝟒𝟏.𝟗𝟐% है. सोयाबीन का रकबा 𝟐𝟎𝟐𝟐-𝟐𝟑 की अपेक्षा 𝟐𝟎𝟐𝟑-𝟐𝟒 में 𝟏.𝟕% बढ़ा. मध्य प्रदेश का 𝟓.𝟒𝟕 मिलियन टन उत्पादन के साथ देश में पहला स्थान है. महाराष्ट्र, राजस्थान को पीछे छोड़ा, 5.47 मिलियन टन उत्पादन के साथ देश में पहला स्थान. भारत सरकार के जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश 5.47 मिलियन टन सोयाबीन उत्पादन के साथ पहले नंबर पर आ गया है.

सोयाबीन फसल के लिए कृषि सलाह

खरपतवार से सोयाबीन की फसल को बचाने के लिए सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. किसान खरपतवार नियंत्रण के लिए क्यूलोफोस 5 ई.सी. ,इमेजाथायापर 10 ई.सी. प्रति हेक्टेयर छिड़कें. पीला मोजेक रोग से प्रभावित पौधों को उखाड़ें और इमिडाक्लोप्रिड 250 मि.ली. का छिड़काव करें. फसल की सुरक्षा और बेहतर उत्पादन के लिए इन उपायों को अपनाएं.

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Kisan Bike Jugad ( किसान मोटरसाइकिल जुगाड़)

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह-तरह के किसान भाई जुगाड़ लगाकर मशहूर हो जाते हैं और लोगों की तारीफ इकट्ठा कर लेते हैं। हाल ही में एक किसान भाई ने बहुत ही तगड़ा जुगाड़ लगाकर मोकर सायकिल ट्राली का आविष्कार किया है जो मिनी ट्राली का काम आसानी से कर सकती है। यह ट्राली बहुत ही ज्यादा कारगर साबित हुई हैं। साथ ही इसे खेतों के कई काम आसानी से किया जा सकते हैं। किसान भाई के वीडियो में जुगाड़ देखते हैं कि कैसे उन्होंने यह ट्राली का आविष्कार किया है।

Kisan Bike Jugad

किसान भाई ने लगाया रामबाण जुगाड़

किसान भाई ने वीडियो में बताया है कि उन्हें यह ट्राली का आविष्कार खेतों में कई समस्याओं को दूर करने के लिए और कई कार्यों को पूरा करने के लिए बनाई हैं। इस ट्राली का आविष्कार इतना शानदार तरीके से किया गया है कि यह 10 क्विंटल के बराबर वजन लेजाने काम करता है। इस ट्राली से खेतों के कई काम आसानी से किये जा सकते हैं। इसे बहुत ही सारे काम बहुत ही कम समय में आप आसानी से पूरा कर सकते हैं।

जुगाड़ देख लोगों ने करि वाह-वाह

दोस्तों सोशल मीडिया की कई साइट्स पर इस वीडियो को शेयर किया गया है जिसके बाद लोग इस वीडियो को देख कर काफी ज्यादा हैरान रह गए हैं और किसान भाई की बहुत ही ज्यादा तारीफें भी कर रहे हैं। अन्य किसान भाइयों के भी यह जुगाड़ बहुत ही ज्यादा काम आया है जिससे वहां भी इन ट्राली का आविष्कार अपने घर पर ही कर रहे हैं और इसे उनके खेतों की कई समस्या दूर कर रहे हैं और वह आसानी से बहुत ही कम समय में काम कर पा रहे हैं। इस ट्राली से किसान भाइयों को बहुत ही फायदा हुआ है।

देखें वीडियो

 

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